पूज्य गुरुदेव द्वारा प्रतिपादित परमार्थ पथ के दस सारभूत सिद्धांत
1. इश्वर तो एक शक्ति (पावर) है, न उसका कोई नाम है न रूप । जिसने जो नाम रख लिया वही ठीक है ।
2. उसके प्राप्त करने के लिए गृहस्थी त्याग कर जंगल में भटकने की आवश्यकता नहीं है, वह घर में रहने पर भी प्राप्त हो सकता है ।
3. अभी तुमने इश्वर देखा नहीं है, इसलिए उसे प्राप्त करने के लिए पहले उससे मिलो जिसने इश्वर देखा है । वही तुम्हे इश्वर का दर्शन करा सकता है ।
4. अपने जीवन में आतंरिक प्रसन्नता लाओ । यह बहुत बड़ा ईश्वरीय गुण है ।
5. ज्ञान में शांति है, वह तुम्हे बाहर से नहीं मिलेगी । ज्ञान अंतर में है । उसके लिए आतंरिक साधन करने होंगे ।
6. अधिक समय तुम संसार के कामों में लगाओ, थोडा समय इधर दो । लेकिन इतने समय के लिए तुम संसार को भूल जाओ ।
7. दो काम साधक के लिए बहुत ही आवश्यक है – एक तो अपने परिश्रम से भोजन कमाना और दूसरा अपने मन को हर समय काम में लगाये रखना ।
8. ज्ञान अनंत है । यदि एक गुरु उसे पूरा न कर सके तो दूसरे गुरु से प्राप्त करना चाहिए । परन्तु पूर्ण आत्म ज्ञानी गुरु मिल जाने पर दूसरा गुरु नहीं करना चाहिए ।
9. दुनिया के सारे काम करो लेकिन सेवक बनकर, मालिक बनकर नहीं ।
10. संसार में मेहमान बन कर रहो । यहाँ की हर वस्तु किसी और की समझो । मैं और मेरा छोड़कर तू और तेरा का पाठ सीखो ।
No comments:
Post a Comment